• Sun. Dec 7th, 2025

दिमागी रूप से कमजोर बना रही बच्चों को मोबाइल फोन की लत

ByNewuttarakhand

May 31, 2023

बच्चे जब रोते हैं या किसी चीज के लिए जिद करते हैं तो अक्सर मां-बाप पीछा छुड़ाने के लिए बच्चों को मोबाइल या कोई और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट थमा देते हैं. यह ट्रेंड आजकल काफी आम हो गया है. इससे बच्चा शांत तो हो जाता है लेकिन इससे उसे कई घंटे स्क्रीन के सामने बिताने की लत लग जाती है.

दुनिया भर में हुई तमाम रिसर्च बताती हैं कि कम उम्र में बच्चों को फोन थमाने से उनका मानसिक विकास प्रभावित होता है. इतना ही नहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल, गैजेट्स और ज्यादा टीवी देखने की लत बच्‍चों का भविष्‍य खराब कर रही है. इससे उनमें वर्चुअल आटिज्‍म का खतरा बढ़ रहा है.

क्या है वर्चुअल ऑटिज्म

वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण आमतौर पर चार से पांच साल तक की उम्र के बच्चों में दिखते हैं. ऐसा अक्सर उनके मोबाइल फोन, टीवी और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत के कारण होता है. स्मार्टफोन का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग, लैपटॉप और टीवी पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों को बोलने में दिक्कत और समाज में दूसरे लोगों के साथ बातचीत करने में परेशानी महसूस होने लगती है.

इस कंडीशन को हम वर्चुअल ऑटिज्म बोलते हैं जिसका मतलब है कि उन बच्चों को ऑटिज्म होता नहीं है लेकिन उनमें उसके लक्षण आ जाते हैं. एक से तीन साल के बच्चों को इसका ज्यादा खतरा होता है. आज के टाइम पर बच्चे जैसे ही चलना शुरू करते हैं, वो फोन के एक्सपोजर में आ जाते हैं. सवा साल से लेकर तीन साल की उम्र तक के बच्चों में ऐसा बहुत ज्यादा देखने को मिल रहा है जहां मां-बाप कई बार उनसे दूर रहने की वजह से ऐसा करते हैं. कई बार मां-बाप सोचते हैं कि हम बच्चों को पढ़ना सिखा रहे हैं. उन्हें ए, बी, सी, डी सिखा रहे हैं लेकिन वो बच्चों को गैजेट्स की लत लगा रहे होते हैं.

बच्चों को बचाना है तो मोबाइल से बनाएं दूरी

”इसका नकारात्मक प्रभाव यह होता है कि उनमें स्पीच डेवलपमेंट नहीं हो पाता है. वो गैजेट्स में ही बिजी रहने लगते हैं. उनके व्यवहार में दिक्कतें आने लगती हैं, वो कई बार बहुत नखरे करने लगते हैं. कई बार आक्रामक भी हो जाते हैं. कई मां-बाप बच्चों को रात में गैजेट्स पकड़ा देते हैं जिससे उनका स्लीप पैटर्न खराब हो जाता है. ऐसा मां-बाप को भी नहीं करना चाहिए, उन्हें देखकर भी कई बार बच्चे टीवी देखने या मोबाइल चलाने की जिद करते हैं. इससे उनका कॉन्सन्ट्रेशन भी खराब होता है.”

बच्चों को मोबाइल और टीवी देखना मां-बाप ही सिखाते हैं. वहीं, दो से पांच साल के बच्चों को आप थोड़ी बहुत टीवी दिखा सकते हैं लेकिन ऐसा भी मां-बाप को बच्चों के साथ बैठकर करना चाहिए ताकि उन्हें उसकी लत ना लगे. बच्चों को मोबाइल दे देना एक तरह से उनके लिए जहर है जो बेहद खतरनाक है.

ऑटिज्म के संकेत एवं लक्षण

वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे दूसरों से बात करने में कतराते हैं, आई कॉन्टैक्ट नहीं करते, उनमें बोलने की क्षमता का विकास देर से होता है, उन्हें लोगों के साथ घुलने-मिलने में दिक्कत होती है और उनका आईक्यू भी कम होता है.

साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर बिंदा सिंह ने बताया, ”अगर आपको अपने बच्चों के अंदर इस तरह के लक्षण नजर आएं तो डरने और देरी करने के बजाय उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए कि उनके बच्चे को अतिरिक्त देखभाल और इलाज की आवश्यकता है. कई तरह की थेरेपी की मदद से माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और उन्हें ठीक होने में मदद कर सकते हैं.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *