उनकी बेटी कृतिका पाल सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर यूपीसीएल में सहायक अभियंता के पद पर सेवाएं दे रही है। बेटा विभाकर भी सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर अफसर बनने की राह पर चल पड़ा है। विभाकर की शुरुआती पढ़ाई मसूरी और देहरादून में हुई। बाद में उन्होंने जालंधर से बीटेक किया। इसी दौरान वो यूपीएससी सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगे। विभाकर बताते हैं कि सिविल सर्विसेज की जो डिमांड होती है, वह पहले हम नहीं समझ पाए। यही वजह है कि कई बार असफलता का सामना करना पड़ा। चौथे अटेम्ट में जब वह एक नंबर से फेल हुए तो बहुत निराशा हुई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इस बार यूपीएससी की परीक्षा पास करने में सफल रहे। विभाकर कहते हैं कि तैयारी के लिए सलेबस को समझकर एक्शन प्लान तैयार करना जरूरी है। तैयारी के दौरान उन्होंने आईएएस में टॉपर्स के इंटरव्यू की वीडियो रिकॉर्डिंग देखी और उनके नोट का अध्ययन भी किया। उसी के मुताबिक तैयारी शुरू की और इस बार पास होने में सफल रहे। अगर स्कूल के दिनों में ही लक्ष्य निर्धारित कर के तैयारी की जाए तो सफलता जरूर मिलती है।
विभाकर की सफलता कई मायनों में खास है। वो पहले चार बार परीक्षा में बैठ चुके थे, लेकिन हर बार असफलता हाथ लगी। एक बार तो वह सिर्फ एक नंबर से अफसर नहीं बन पाए। कोई और होता तो निराश होकर अपने कदम पीछे खींच लेता, लेकिन विभाकर ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने मेहनत की और पांचवे अटेम्ट में सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफलता हासिल कर ली। चार बार असफल होने के बाद भी धैर्य न खोने वाले विभाकर पाल की कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 521वीं रैंक पाकर शहर का मान बढ़ाया है। विभाकर के पिता पवन पाल लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर हैं। साल 1989 में वह क्लर्क के पद पर नियुक्त हुए थे। पिता पवन पाल अपने बेटे और बेटी को हमेशा से अफसर बनते देखना चाहते थे, और दोनों बच्चों ने उनके सपने को पूरा भी किया। आगे पढ़िए

