बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पहलवानों के पक्ष में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुलकर आ गईं हैं. रेसलर्स के सपोर्ट में सीएम ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कोलकाता की सड़कों पर पैदल मार्च निकाला. इसमें ममता बनर्जी भी शामिल हुईं. इस मार्च के साथ ही ममता पहलवानों के लिए सड़कों पर उतरकर मार्च निकालने वाली पहली सीएम बन गई हैं.

मार्च के दौरान ममता ने कहा, ‘भाजपा नेता होने के कारण आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की जा रही है. यह देश के लिए शर्म की बात है. वे (पहलवान) हरिद्वार गए, लेकिन दोषी की गिरफ्तारी नहीं हुई. गिरफ्तारी की मांग को लेकर हमारा धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा. हमें अपने खिलाड़ियों पर गर्व है. हमने आने वाले दिनों में विरोध जारी रखने का फैसला किया है. हमने उनसे बात की है, हमारी टीम उनका समर्थन करने वहां जाएगी. पहलवानों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर टीएमसी कल कैंडल मार्च निकालेगी.’
मंगलवार को ही रेसलिंग के सबसे बड़े संगठन की तरफ से भी इस मामले में बयान आया था. यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने कहा था कि अगर 45 दिनों के अंदर भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के चुनाव नहीं होते हैं तो WFI को आगे के मैच के लिए सस्पेंड किया जा सकता है. UWW की धमकी इसलिए भी अहमियत रखती है, क्योंकि अगर WFI को सस्पेंड कर दिया जाता है तो भारतीय एथलीट्स को आगे के सभी मैच न्यूट्रल झंडे के साथ खेलने होंगे. यानी कोई भी खिलाड़ी भारतीय ध्वज के साथ अंतरराष्ट्रीय कुश्ती के मैच में भाग नहीं ले पाएगा.
मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?
> भारतीय कुश्ती संघ पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौनशोषण के आरोप लगाकर पहली बार 18 जनवरी 2023 को दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया गया.
> 21 जनवरी को खेल मंत्री ने पहलवानों को भरोसा दिया कि मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया जा रहा है.
> 23 अप्रैल को कमेटी की जांच पर सवाल उठाते हुए महिला पहलवान दोबारा जंतर-मंतर पर धरना देने पहुंच गईं.
> 24 अप्रैल को पहलवानों ने दिल्ली पुलिस से बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत की, लेकिन FIR दर्ज नहीं हुई.
> 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और दूसरे मामले में FIR दर्ज की.
> 3 मई की रात पहलवानों और दिल्ली पुलिस के बीच विवाद में झड़प हुई. 7 मई और 21 मई को महिला पहलवानों के समर्थन में खाप पंचायतें हुईं.
> 28 मई को नई संसद के उद्घाटन के दिन ही पहलवान बिना इजाजत के संसद तक मार्च निकालने को बढ़ने लगे. पुलिस ने उन्हें रोका. पहलवानों को हिरासत में लिया गया. रेसलर के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया गया.
